स्वर्ण हंस || Hindi story

 बहुत समय पहले की बात है। एक धनी राज्य के भव्य किले के अंदर बने सुंदर से तालाब में कुछ हंस रहते थे।राजा उन हंसो से बहुत प्रेम करता था राजा ने उन हंसो के भोजन का इंतज़ाम और सुरक्षा के लिए विशेष रूप से कई सेवक नियुक्त किए हुए थे जो हमेशा उन हंस की देखभाल में लगे रहते थे।

वे हंसो की हर ज़रूरत का ध्यान रखते थे और उन्हे खाने के लिए स्वादिष्ट फल और दाने देते थे। 

 एक दिन अचानक एक स्वर्ण हंस उनके तालाब में आ उतरा उसका पूरा शरीर शुद्ध सोने के पंखों से ढका हुआ था।




"देखो-देखो! वह पक्षी शुद्ध सोने का बना है एक हंस ने दूसरे हंस से कहा। 
" अरे सचमुच यह कितना सुंदर भी है! इसके सामने तो हम सब कुछ भी नहीं दूसरा हंस बोला। 
'' यदि यह इसी तालाब में रहने लगा तो राजा हम सब पर ध्यान देना छोड़ देगा सभी सेवक बस इसी की देखभाल करने लगेंगे। ''  एक हंस ने कहा। 

उस स्वर्ण हंस की सुंदरता के बारे में विचार कर सभी हंस मन ही मन उस से ईर्ष्या करने लगे। एक दिन सभी हंस परेशान होकर उस स्वर्ण हंस के पास गए और उस से उस तालाब को छोड़ कर जाने की विनती की। 

 स्वर्ण हंस बड़ी शांति से उनसे बोला प्रिय मित्रो में तुम सब की समस्या समझता हूँ, पर मे ये तालाब नहीं छोड़ सकता इस किले के बाहरी दुनिया मेरे लिए सुरक्षित नहीं है धन के लालची लोग मेरे शुद्ध सोने के पंखों की वजह से मुझे ढूंढ रहे हैं मुझे पता है इस राज्य का राजा लालची नहीं है और वह किले के अंदर रहने वाले सभी पशु-पक्षीओं से स्नेह करता है कृपया मुझे यहां से जाने के लिए विवश ना करो। 




 किंतु ईर्ष्या के अंधे हुए क्रूर हंसो ने उसके प्रति सहानुभूति दिखाने के बदले उसे अपनी चोंच से काटना शुरू कर दिया।  स्वर्ण हंस की दर्द भरी चीखें सुन कर तालाब के पास खड़े सेवक राजा को बुलाकर लाए ये सब देख कर राजा ने सभी हंसो को पिंजरे में कैद करने की आज्ञा दी। 

सेवकों को जाल और पिंजरों के साथ तालाब की ओर आते देख एक वृद्ध हंस ने सभी हंसो को चेतावनी देते हुए तेज़ स्वर में कहा, "शीघ्र उड़ जाओ! वर्ना हम सभी कैद कर लिए जाएंगे!" वृद्ध हंस की चेतावनी सुन कर स्वर्ण हंस को छोड़ कर सभी हंस तालाब से उङ गए


शाम ढलने पर राजा अपनी रानी के साथ बाग में पहुंचा रानी सोने के हंस को देख कर अत्यंत ख़ुश हुई लेकिन किसी और हंस को ना देख हैरान भी हुई "सभी हंस कहाँ गए?"रानी ने राजा से पूछा|
 राजा ने उसे सारी बात बताई और कहा, "हानि न पहुंचाने वाले ज़रूरत मंद अतिथि का स्वागत न करने वालों की सुखी और सुरक्षित जीवन जीने का हक नहीं होता।



 (NEW HINDI STORY) (NEW HINDI STORY) (NEW HINDI STORY) (NEW HINDI STORY)


 (NEW HINDI STORY) (NEW HINDI STORY) (NEW HINDI STORY) (NEW HINDI STORY)

Comments