सुंदरता और उपयोगिता || HINDI STORY

  बहुत समय पहले की बात है। घने जंगल के बीच स्थित नदी के पास एक मोर रहता था।  वह देखने में बहुत सुन्दर था और सभी जीव उसकी सुंदरता देख कर जलते थे।  उसे अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था कि वह प्रतिदिन नदी के पास जाकर नदी के जल में अपनी सुंदर परछाई देखा करता था। साथ ही साथ वह वहां अपनी चोंच से अपने सुंदर पंखो को साफ करने के बाद दूसरे पक्षियों को अपनी सुंदरता दिखाने के लिए बड़े घमंड से चलता था और सबका ध्यान अपनी और खिंचता था। उसका ज्यादातर समय अपने सुंदर पंखों को साफ करने में बीतता था।



एक दिन एक सारस नदी के पास आकर रहने लगा। मोर अपनी सुंदरता दिखाने के लिए उसके पास गया। जब मोर उस नए सारस से दोस्ती करने के लिए उस के पास गया, उस समय सारस मछली पकड़ने में लगा हुआ था।

'' सुप्रभात, प्रिय महाशय, हमारे वन में तुम्हारा स्वागत है। में तुम्हारा पड़ोसी हूँ,  अपने सुंदर पंखों को फैलाता हुआ मोर बोला।

'' सुप्रभात, मोर महाशय, तुम से मिलकर अच्छा लगा।"सारस ने कहा।

"बिल्कुल, तुम्हें शानदार सफेद पंखों का वरदान मिला है, पर सिर्फ सादे पंख पाकर तुम्हें केसा मेहसूस होता है?" मोर ने अपनी चोंच से अपने पंखों को साफ करते हुए सारस से पूछा।

सारस ने मोर के सुंदर पंखों पर तारीफ़ भरी नज़र डाली और कहा, "बेशक, तुमने सबसे सुंदर पंख पाए हैं, पर तुम्हारे पंख मेरे किस काम के! इतने सुंदर और भारी पंखों के साथ कोई बहुत  दूर कैसे उड़ सकता है! मेरे साधारण और सादे पंख मेरी लंबी व् ऊंची उड़ान के लिए ठीक और काफी मज़बूत हैं इन्ही पंखों के सहारे उड़ कर मैं नए-नए जीवों एंव स्वादिष्ट खाने की चीज़ों से भरी हुई नयी-नयी भूमि की खोज कर पाता हूँ। "


सारस की बातों को सुन कर मोर को सुंदरता के साथ ही इस्तेमाल की कीमत भी समझ में आ गई उसने हमेशा के लिए अपनी सुंदरता पर घमंड करना छोड़ दिया और प्रकिर्ति के सभी जीवों में सुंदरता देखने लगा।


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