बुरी संगत || Hindi story
आज से बहुत समय पहले किसी गांँव के पास वाले जंगल में एक कौआ और एक बटेर रहते थे। दोनों में गहरी मित्रता थी। कौआ बड़ा चतुर था और जब कि बटेर सीधा-साधा।
सर्दी का मौसम था। पेड़ों पर फल ना थे। चूहे मेंढक और टिड्डे जैसे जीव स्वयं को गर्मी देने के लिए अपनी रक्षा करने के लिए जमीन के अंदर जा छुपे थे। जंगल में पशु पक्षियों के लिए बहुत थोड़ा सा ही खाने का सामान बचा था।
एक दिन कौआ और बटेर दोनों बहुत भूखे थे। दोनों दोनों भोजन की तलाश कर रहे थे। भोजन की चाह में इधर-उधर घूमते हुए दोनों पास के एक गांव में जा पहुंचे। वहां उन्होंने एक ग्वाले को अपने सिर पर बर्तन रख कर ले जाते हुए देखा। बर्तन ढका हुआ ना था और दही से भरा हुआ था।
यह देख इधर हमारा¡ भोजन हमारी ओर आ रहा है कौआ बोला।
वहांँ जाने की हिम्मत मत करना। वह आदमी तुम्हें पकड़ लेगा। बटेर ने कौआ से कहा।
दोनों पक्ष आपस में बातचीत कर रहे थे, इस बीच ग्वाला एक बरगद के पेड़ के नीचे जा बैठा, थोड़ी ही देर बाद उसे नींद आने लग गई और वह बर्तन एक किनारे रख कर जमीन पर लेट गया जल्दी उसकी आंँख लग गई वह गहरी नींद में सो गया।
ग्वाला को सोया देखा कौआ नीचे उतरा और दही से भरे बर्तन पर जा बैठा ओर उस का दही खाने लगा उसे वह इतना स्वादिष्ट था कि वह एक बार बर्तन में शौच डालने के बाद पूरी दही चैट किए बिना वहां से उड़ना नहीं चाहता था।
किंतु इसी बीच ग्वाले की आंँख खुल गई और कौआ तेजी से उड़कर पेड़ की ऊंची डाल पर जा बैठा। ग्वाले ने बर्तन उठा कर सिर पर रखा और अपनी राह पर चल पड़ा।
'' अब बर्तन के पास जाने की भूल मत करना'' पकड़े जाओगे बटेर ने कौआ को सावधान करते हुए कहा।
डरो मत मित्रों मुझे सारे तरीके पता है, तुम बस देखते रहो मैं मीठे दही को कैसे मजा ले ले कर खाता हूं। और फिर तुम भी मेरी तरह ही खूब मजे से दही खाना इतना कह कौआ ने गोता लगाया और अपनी मुह मै दही भर कर फिर से आकाश में उड़ गया।
इतने लालची ना बनो यदि तुम बार-बार ऐसा ही करोगे तो जरूर वह आदमी तुम्हें पकड़ लेगा बटेर ने कौआ को फिर से सावधान करते हुए कहा।
चिंता ना करो मित्र मैं आदमी के सिर के पीछे से गोता लगाकर बर्तन में गुस्सा हूं भले वह मुझे देख कैसे सकेगा ।इतना कहकर कोई नहीं फिर से गोता लगाया।
कुछ समय बाद ग्वाला एक घर के पास पहुंच गया वह रोज उसी घर के पास बैठ कर दही बेचता था। उसने अपने सर से बर्तन उतारा बर्तन को नीचे रखते ही उसकी नजर जैसे ही बर्तन पर पड़ी वह हैरान रह गया बर्तन आधा खाली था। उसने अपने आसपास नजरें लड़ाई वही घर की चौकीदारी पर एक बटेर और कौआ बैठे थे और कौआ की चोंच दही से भरी थी।
कौआ की चोंच में दही भरा देख गवारे को यह समझते हुए देर नहीं लगी कि इसी कौआ ने उसका बर्तन खाली किया है गुस्से से पागल होकर ग्वाले ने पत्थर उठाया और कौआ की ओर फेंका दृश्य को हुआ जो हमेशा ही सावधान और फुर्तीला था उसने पंख फैलाते हुए तेजी से आकाश की ओर उड़ गया पत्थर बटेर के सर पर जाकर लगा जो धीमी गति से उड़ने वाला था। और दूसरों पर विश्वास करने वाला था। बेचारा बटेर भूमि पर जा गिरा और दर्द से पंख फड़फड़ाते हुए उसने अपने प्राण त्याग दिए।
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